माणिक
माणिक
क्या है?
माणिक रत्न: माणिक्य अति प्राचीन रत्न है। संसार में सबसे अच्छा व शुद्ध माणिक वर्मा में पाया जाता है। वर्मा के अलावा यह रत्न काबुल, लंका और भारत में गंगा नदी के किनारे, विंध्याचल एवं हिमाचल में पहाड़ी क्षेत्रों में मिलता है। कश्मीर में भी यह रत्न पाया जाता है। माणिक्य वास्तव में सूर्य रत्न है। सभी जानते हैं कि सूर्य काल पुरुष की आत्मा कहा जाता है। यह पुरुष ग्रह तांबे के समान रंग वाला, देदीप्यमान तथा पूर्व दिशा का स्वामी है। यदि जन्मकुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक ना हो तो माणिक्य अवश्य पहनना चाहिए।
मोती का धारक कौन ?
01
यदि किसी की जन्मकुंडली के तीसरे भाव में सूर्य हो और उसके छोटे भाई जीवित ना रहते हो तो उसे सूर्य को प्रसन्न करने के लिए माणिक्य अवश्य धारण करना चाहिए।
02
चौथे स्थान का सूर्य आजीविका में बाधाएं उत्पन्न करता है अतः ऐसे व्यक्ति को माणिक पहनना चाहिए।
03
यदि सूर्य भाग्य स्थान का स्वामी, धन स्थान या राजस्थान का स्वामी होकर छठे अथवा आठवीं हो, तो माणक के धारण करना उपयोगी होता है।
04
अगर सूर्य पंचम भाव का स्वामी हो, तो अत्यधिक लाभ व उन्नति के लिए माणिक पहनना फायदेमंद होगा।
05
सप्तम भाव का सूर्य स्वास्थ्य के लिए हानि प्रद होता है । अतः ऐसे व्यक्ति को माणिक्य पहनना लाभप्रद होगा ।
06
यदि जन्म कुंडली में सूर्य अष्टमेश या छठे घर का स्वामी होकर पंचम अथवा नवम भाव में स्थित हो तो जातक को माणिक्य धारण करना चाहिए।
07
अगर जन्म कुंडली में सूर्य अपने भाव से अष्टम स्थान में स्थित हो, तो ऐसे जातक को यथाशीघ्र माणिक पहनना चाहिए ।
08
एकादश भाव का सूर्य पुत्रों के बारे में चिंता उत्पन्न करता है तथा बड़े भाई के लिए हानि प्रद होता है। ऐसे व्यक्ति को माणिक अवश्य धारण करना चाहिए।